खूब स्कूल जाएंगे-भोला प्रसाद शर्मा

Bhola

खूब स्कूल जाऐंगे

घर-घर अलख जगाकर अब हम,
परचम खूब लहराएंगे।
नाम लिखाकर अब हम हर दिन,
खूब स्कूल जाऐंगे। 
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

नुक्कड़ पे नाटक हो,
खुले अब फाटक हो।
साथ अभिभावक हो,
गुरु जी भी पास हो।
रुणियाँ, मुनकी, गोलू को
खूब अब हम मनाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

आया नामांकन पखवाड़ा है,
मिला मौका ये दुबारा है।
साथ पढेंगे साथ बढेंगे,
होगा विकास अब मिलके कहेंगे।
मम्मी और पापा को,
आजादी अब हम दिलाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

सुबह हो या शाम हो,
बस यही काम हो।
स्कूल ही अब मेरा,
सिर्फ चारो धाम हो।
बगिया लगाकर उसमें हम सब,
खूब फूल खिलाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे ।

मन में भी आस हो,
दोस्त कुछ भी खास हो।
मिलके गले न अब,
दूरी का एहसास हो।
दोस्ती का हाथ बढ़ाकर अब,
झूला खूब झुलाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

सबका साथ हो सबका विकास हो,
अभिवंचित वर्ग को न कोई आभास हो।
कुदाली, हासिया, खुरपी को
खुद से दूर भगाएंगे।
गुरु के चरण छुवाएंगे,
खूब आशीष पाएंगे ।

ये जो अभियान है,
बच्चों की पहचान है।
“प्रवेशोत्सव” के संग-संग,
जन का भी कल्याण है। 
घर-घर नारा यही लगाकर,
बेटा-बेटी को हम पढ़ाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

शिक्षा का अधिकार है,
न कोई व्यापार है।
आपकी भी बारी है,
गुरु जी की जिम्मेवारी है।
जीवन में ज्योत जलाकर अब,
अंधकार को दूर भगाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

गली हो या गाँव हो,
घर हो या बाहर हो।
गति चाहे धीमी हो,
या मंद ही विचार हो।
दक्षता के आधार पे अब हम,
चुन-चुनकर नाम लिखाएंगे।
गुरु के चारण छुएंगे,
खूब आशीष पायेंगे।

घर-घर अलख जगाकर अब हम,
परचम खूब लहराएंगे।
नाम लिखाकर अब हम हर दिन,
खूब स्कूल जाएंगे।
गुरु के चरण छुएंगे,
खूब आशीष पाएंगे।

भोला प्रसाद शर्मा
प्राo विo गेहुँमा(पूर्व) डगरूआ
पूर्णिया (बिहार)

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