खुशहाल रहेगा देश हमारा
जब स्वस्थ होगा विचार हमारा
पुष्पित होगा घर परिवार हमारा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब मानव मानव में प्रेम बढ़ेगा।
जन-जन में परस्पर स्नेह बढ़ेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब गाँव-गाँव सुखधाम बनेगा
जब शहर-शहर अभिराम बनेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब नारी का सदा सम्मान बढ़ेगा
बड़े बुजुर्गों का नित् मान बढ़ेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब पेड़-पौधों से प्यार बढ़ेगा
अपनी मिट्टी से ही दुलार बढ़ेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब नफ़रत का शोला दूर हटेगा
भाव स्नेह का अनवरत ही बहेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब झरने पर्वत का सौंदर्य बढ़ेगा
जब सरिता का जल पावन बनेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब भाई भाई में सतत् प्रेम बढ़ेगा
सुन्दर वचन का नया रंग जमेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब हर बच्चा यहाँ राम-सा बनेगा
जन को, बाला देवी तुल्य दिखेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
जब हमें मातृभूमि से प्यार बढ़ेगा
वसुधैव कुटुंबकम् का समीर बहेगा
तब खुशहाल रहेगा, देश हमारा।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ शिक्षक
मध्य विद्यालय धवलपुरा
भागलपुर बिहार