किसानों के कार्य
किसानों का कार्य भी समझ में आएगा,
एक बार फसल उगाकर तो देखो।
कभी तप्ती गर्मी के धूप में तो
कभी ठंड भरी शीतलहर के जाड़े में,
एक बार खेतों में जाकर तो देखो।
भूखे प्यासे खेतों पर, एक बार
हल चलाकर तो देखो।
कभी दोपहर के दो बजे तो
कभी रात के तीन बजे, एक बार
सिंचाई के लिए मोटर चलाकर तो देखो।
हाथों में 20 किलो का टोकरी लेकर,
बीज छीड़कर कर तो देखो।
कंधों पर 10 लीटर स्प्रेयर की टंकियाँ लिए,
खेतों में स्प्रेयर चलाकर तो देखो।
कभी मौसम की मार झेल कर,
फसल उगाकर तो देखो।
कीड़ों के वार से अपनी,
फसल उपजाकर तो देखो।
एक बार खेतों में हल चलाकर तो देखो,
जान जाओगे किसानों की मेहनत।
बाजार में फसल की मांग न होने पर,
फसल बेचवा कर तो देखो।
पापा ! मेरी गुड़िया कब लाओगे ?
बिलखती बच्ची को अगली फसल में
लाने के झूठे सपने दिलाकर तो देखो।
पूरी दुनियाँ को खाना खिलाकर,
परिवार को रूखा-सूखा खिलाकर तो देखो।
भारत फिर बन जाएगी सोने की चिड़िया,
किसानों को खुशहाल बनाकर तो देखो।
प्रमोद कुमार
नवादा बिहार