लक्ष्य प्राप्ति हेतु मैंने न विश्राम किया-नूतन कुमारी

लक्ष्य प्राप्ति हेतु मैंने न विश्राम किया

उम्मीद की लौ जला कर,
जिंदगी को किया उजाला,
हर व्यूह को भेद कर,
संघर्ष का लिया निवाला,
हरसंभव कोशिश को मैंने है अंजाम दिया,
लक्ष्य प्राप्ति हेतु मैने न विश्राम किया।

हर पड़ाव ने मुझे रोकना चाहा,
पर तलब थी मुझको मंजिल की,
एकाग्रता की सीख मिली जब,
पुनः सफलता हासिल की,
चारों पहर जागती रही, न चेतना पर विराम दिया,
लक्ष्य प्राप्ति हेतु मैने न विश्राम किया।

मैं उस वृक्ष की डाली थी,
जिसकी शाखा थी हिली डुली,
किरदार मेरा कुछ ऐसा था,
मैं लाड़-प्यार में फली-फूली,
अपनी सुषुप्त चेतना से मैने है संग्राम किया,
लक्ष्य प्राप्ति हेतु मैंने न विश्राम किया।

क्या ही मिलता, गर गुरु न हो,
ना लगन लगती कुछ पाने की,
ना कशिश जगती मन के भीतर,
साहिल को पार कर जाने की,
आसमाँ छू लूँगी इक दिन, यह सोच इम्तिहान दिया,
लक्ष्य प्राप्ति हेतु मैने न विश्राम किया।

नूतन कुमारी
प्राथमिक विद्यालय चोपड़ा
डगरूआ, बिहार

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