लॉकडाऊन
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो,
देखत-देखत उनकी असरवा
अँखिया मोर पथरायो।
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो।
“क” से कमलिया बऊवा बिसरायो,
त्रिकोण-ज्यामिति केहु न समझायो,
डिसटेंशन का करके पालनवा
नेट्वा में शिक्षा है फैलायो,
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो।
चैत्र बीत गये बीते सावनवां,
न किलकत आँखिया बबलू-करणवां
धो-धो के हथिया छुपकत घरवा
मुँहवाँ में मास्क लगायो,
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो।
सूनी हो गईल मोरे आँगनवां,
टूट गई नलिया छूटे कलमवां
आँगना में भैंसिया चरायो,
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो।
कुहके कोयलिया अमवाँ के बगिया,
बिन बदरा के चमके बिजुरिया,
नेटपैक भरवा के मोरे पापा जी,
हथवा मोबाइल धरायो
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो ।।
कबहु न सोचलि ऐसन दिनवाँ,
पिछुर गईलबा कथनी पुरनवाँ
झुमकी-लल्लन भी प्रथम आयो
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो।
देखत-देखत उनकी असरवा,
आँखिया मोरे पथरायो।
ओ साथिया मोरे गुरुवर नाहीं आयो, मोरे गुरुवर नाहीं आयो।।
भोला प्रसाद शर्मा (शिक्षक)
पूर्णिया (बिहार)