माँ की ममता
जब छोटा था, प्यारा था
माँ का राज दुलारा था ।
करता गीली शैय्या था ,
फिर भी आँखों का तारा था ।
माँ की हँसी, माँ की खुशी
माँ की गोद, माँ की मूरत
माँ की लोरी, माँ के बोल
वो शिष्टाचारण सिखलाना
अंगुली पकड़ चलना सिखलाना
गुणवान पुत्र की माँ कहलाने बस भर में
सारी कसक माँ का लगाना
वो प्यार से नहलाना,
वो प्यार से पुचकारना
वो मेरा रुदन सुन माँ का चकित होना
वो मेरा बीमार पड़ना और बेचैन हो जाना
याद आते हैं सब पल
जी लेता हूँ गुजरा कल
वो गुजरा कल कितना सुख भरा
आज माँ नहीं, जग लगता है झूठ भरा
वो बचपन के लम्हें
पचपन में लौट आते यदि
ले लेता घंटे भर की भी नींद यदि
माँ की गोद में, यादों की छाँव में
अनमोल उपहार है माँ इस जग की
माँ है तो ही जग है, जग नहीं यदि माँ नहीं ।।
अवनीश कुमार
प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
प्रखंड पकड़ीदयाल जिला पूर्वी चंपारण ( मोतिहारी)