माँ मुझको अब पढ़ना है
माँ मुझको अब पढ़ना है
सबसे आगे बढ़ना है,
देखा था जो तुमने सपना
उसको पूरा करना है।
अंतर करेगी दुनियाँ कैसे
जैसा “बेटा” “बेटी” वैसे,
फर्क नहीं तुम्हें करना है
माँ मुझको अब पढ़ना है।
ठान लिया वह कर जाऊँगी
बाधाओं से लड़ जाऊँगी ,
आसमान में उड़ना है
माँ मुझको अब पढ़ना है।
क्या होगा जो राह है मुश्किल
क्या होगा जो दूर है मंजिल,
काँटों से नहीं डरना है
माँ मुझको अब पढ़ना है।
एक करम तुम मुझपर कर दो
हाथ में मेरे कलम तुम धर दो,
किस्मत अपनी लिखना है
माँ मुझको अब पढ़ना है ।
दुनियाँ को भी दिखला दूँगी
दूर गगन को मैं छू लूँगी ,
इतिहास मुझे भी गढ़ना है
माँ मुझको अब पढ़ना है।
देख लो रब की कैसी माया
मैं तो हूँ तेरी ही “छाया”
यही तो मुझको कहना है
माँ मुझको अब पढ़ना है।
स्वरचित 🙏🙏
डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
आर के एम +2विद्यालय
मुजफ्फरपुर बिहार