मां नर्मदा
पुण्यसलिला मेकलसुता
शिवसुता, चिरकुंआरी
मां नर्मदा
उद्गम हुई मध्य प्रदेश,
अमरकंटक अनूपपुर
से मां नर्मदा।
पर्वतराज मैखल की पुत्री
पुण्यदायिनी मां नर्मदा का
जन्मदिवस प्रतिवर्ष
माघ शुक्ल सप्तमी
नर्मदा जयंती महोत्सव’
हम-सब मनाते।
रेवा, शंकरी,
नामोदास, सोमोदेव,
सर्वत्र पुण्यमयी नदी
उद्भव से संगम तक
दस करोड़ तीर्थों वाली
मां नर्मदा।
जीवन रेखा मध्य प्रदेश की
पूर्व से पश्चिम को बहती
अन्य नदियों की अपेक्षा
इनकी उल्टी धारा है बहती
खम्बात खाड़ी में है गिरती
मां नर्मदा।
41 सहायक हैं नदियाँ
इनमें प्रमुख तवा, हिरण,
शक्कर, दूधी, करजन,
शेर, बनास, मान
सर्वदा पुण्य प्रदायिनी
मां नर्मदा।
उमारूद्रांगसंभूता, त्रिकूटा
मुरन्दला, मुरला, इन्दुभवा
महार्णवा, तमसा, विदशा,
करभा, चित्रोत्पला, विपाशा
रंजना, विमला, अनंता,
महानद, मन्दाकिनी
नामों वाली
मां नर्मदा।
पुण्य प्रदायिका महासरिता
कलकल निनादनी
अद्वितीया, आनंदविधायिनी,
सार्थकनाम्ना स्रोतस्विनी
देव सरिता, पतित पावनी
मां नर्मदा।
वेदों में वैराग्य की अधिष्ठात्री
आध्यात्मिक सुख अवर्णनीय
कल-कल निनाद में शिवत्व
हर पाषाण शिव स्वरूप
मां नर्मदा।
नर्मदायै नमः प्रातः,
नर्मदायै नमो निशि,
नमामि देवी मां नर्मदे,
नमामि देवी मां नर्मदे।
अपराजिता कुमारी
रा. उ. उ. मा. विद्यालय जिगना जगन्नाथ
हथुआ गोपालगंज