महान साहित्य सम्राट-अपराजिता कुमारी

Aprajita

Aprajita

महान साहित्य सम्राट

महान रचनाकार, युगद्रष्टा

महान हिंदी साहित्यकार
विश्व प्रसिद्ध साहित्य सम्राट
उपन्यास सम्राट, कहानीकार
अध्यापक, लेखक, पत्रकार
हिंदी साहित्य के किदवंती

हिन्दी साहित्य के युग प्रर्वतक
31 जुलाई 1880 वाराणसी,
उत्तर प्रदेश, लमही गांव में
पिता मुंशी अजायब राय,
माता आनंदी देवी के घर
जन्मे धनपत राय।

नवाब राय नाम से शुरू हुआ
लेखन, पत्रकारिता, संपादन
साहित्यिक नाम रहा ‘मुंशी प्रेमचंद’
मित्रों के लिए रहे हमेशा ‘नवाब’
हिन्दी साहित्य के सर्वोत्तम
लेखक, अनमोल विरासत।

लेखनी द्वारा अभिव्यक्त हुई
वेदना, संवेदना, असहाय
निर्बल, शोषित, वंचितों की व्यथा
सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार
गुढ भावनाओं की अभिव्यक्ति
चरित्र चित्रण, सरल सटीक
शब्दों की रचनात्मक कलात्मकता।

भारतीय वेश परिवेश का
सजीव चित्र, चरित्र वर्णन
रूढ़ीवादी समाज सुधार,
राष्ट्रीय भावनाओं, आशा
आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति के
जीवंत रचनाकार रहे।

भाषाई सादगी, सहजता,
रोचकता, सरल, व्यवहारिक
प्रवाह पूर्ण, अद्भुत व्यंजना
अलंकारिकता, आकर्षक
चित्रात्मक, मर्मस्पर्शी, मंत्रमुग्ध
मनोदशा, वेदना, कर्तव्यनिष्ठा
से ओतप्रोत सारी रचनाएं।

1918 से 1936 के कालखंड
स्त्रीशोषण, दहेज, बेमेल विवाह,
सांप्रदायिकता, कर्जखोरी जमींदारी,
भ्रष्टाचार, गरीबी, उपनिवेशवाद,
पराधीनता, लगान, छुआछूत,
जातिगत भेद-भाव पर
अनवरत चलती रही लेखनी।

विधवा विवाह स्त्री पुरुष समानता
आधुनिकता, युगांतरी परिवर्तन
समाज सुधार का 30 वर्षों का युग
सांस्कृतिक दस्तावेज से भरा
मुंशी प्रेमचंद युग कहा जाता रहा।

अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय
जिगना जगन्नाथ

 हथुआ गोपालगंज

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