ममता के आंचल में शिक्षा
जन्मदात्री तो नहीं तुम,
लेकिन मां का प्यार दिया है तूने।
नन्ही कदमों से जरूर था आया,
चल के दौड़ना सिखाया तूने।
जब कभी बाधाएं आई,
हर बार मैं तेरे हीं पास आया।
विचलित मन को धैर्य बंधाकर,
जीत का स्वाद तूने लगवाया।
जब भी रूठे मन से आया,
ममता का आंचल तूने फैलाया।
किस्से-कहानी से मन बहलाकर,
जीवन का पाठ तूने पढ़ाया।
क्यों आज ये कदम कांप रहे,
क्यों मन में कुंठा भर आई?
क्यों रोक रखी अपनी ममता को,
कि आज होगी हमारी विदाई।
नितेश आनन्द
मध्य विद्यालय जहांनपुर
बछवाड़ा, बेगूसराय
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