मंजिल दूर नहीं
कर्म निरन्तर करता चल
व्यर्थ चिंतन छोड़ता चल
रणनीतियाँ गढ़ता चल
आत्ममंथन करता चल
खुद से तुलना करता चल
अपने पर विश्वास रख
मिल जाएगी ही मंजिल
तू इक इक कदम तो बढ़ाता चल
अब आखिरी प्रहार कर
आलस्य का संहार कर
कर्म का शृंगार कर
मिल जाएगी जब तक न मंजिल
तू खुद को बलिदान कर
अपने कार्य पर ध्यान कर
मिल जाएगी ही मंजिल
कार्य तो मनोयोग से कर
कर्मयोगी को मिली है
कहाँ विफलता हाथ
तू इस बात को तो
प्रमाण कर
अब तो अपना सम्मान कर।
मिल जाएगी ही मंजिल
आखिरी प्रयास कर
मिल जाएगी ही मंजिल
कार्य तो अंजाम कर
रणछोड़ नही
तू खुद को पहले
रणवीर तो साबित कर
उठ बंदे अब मंजिल दूर नहीं
मंजिल को प्राप्त कर
मंजिल को प्राप्त कर।
अवनीश कुमार
प्रभारी प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित मध्य विद्यालय अजगरवा पूरब
पकड़ीदयाल पूर्वी चंपारण ( मोतिहारी)