मंजिल तो पाना होगा
कंकड़ पत्थर हो राहों में,
पैदल चलना आसान नहीं,
संघर्ष भरे हो जीवन में,
जीना इसको है सरल नहीं,
हर मुश्किल बाधाओं से,
हर हाल में टकराना होगा,
आगे बढ़ते जाना होगा,
हमें मंजिल तो पाना होगा।
थककर बैठ न जाना तुम,
लक्ष्य साध कर प्रण करो,
थोड़ा ही सही लेकिन हरदम,
सफलता पाने का जतन करो,
दृढ़संकल्पित होकर अकेले,
पथ पर बढ़ते जाना होगा,
उम्मीद की लौ जलाना होगा,
हमें मंजिल तो पाना होगा।
गुरु से बढ़कर कोई नहीं,
इनकी गरिमा सम्मान मेरा,
इन्होंने जगाया था ज़ज़्बा,
होगा इक दिन आसमान तेरा,
गर तबीयत हो कुछ करने की,
तो नया सवेरा लाना होगा,
कदम से कदम बढ़ाना होगा,
हमें मंजिल तो पाना होगा।
मत देख तू पीछे मुड़ के कभी,
क्या था अतीत के पन्नों में,
सुनहरा भविष्य निर्माण कर,
वर्तमान के सुखद क्षणों में,
करीनें से सँवार ख़ुद को,
ऊपर उठते जाना होगा,
इक बात सदा हम याद रखें,
हमें मंजिल तो पाना होगा।
नूतन कुमारी
पूर्णियाँ, बिहार