माता से विनय- चौपाई छंद
सुन लो माता विनय हमारी।
तेरी महिमा न्यारी – न्यारी।।
दुष्टों का संहार किया है ।
भक्तों का उद्धार किया है ।।०१।।
माँ आई है मेरी बारी ।
माँ दे दो अब ममता सारी।।
क्षमा करो माँ अज्ञानी हूँ।
शायद थोड़ा अभिमानी हूँ।।०२।।
सब पर ममता तूने वारी।
दुष्ट दलन को पल में मारी।।
कलुष भरा जीवन मेरा है।
आश लगाए यह तेरा है।।०३।।
तुझमें ऊर्जा केंद्रित सारी।
वंदन करते सब नर नारी।।
भरा हुआ मुझमें अवगुण है।
शरण तुम्हारा पाना धुन है।।०४।।
अद्भुत तेरी सिंह सवारी।
महिषासुर को तूने मारी।।
दानव मन में बसे हुए है।
रोग शोक सब डँसे हुए है।।०५।।
हे जगजननी! मंगल- कारी।
दानव दल तुम ही संहारी।।
हरण करो संताप हमारा।
मैं सेवक हूँ दास तुम्हारा।।०६।।
गाते महिमा वेद तुम्हारी।
पुरुष तुम्ही अद्भुत हो नारी।।
शोक मिटा सुख भरने वाली।
तेरे दर मैं एक सवाली।।०७।।
सुनो शिवा तुम मात हमारी।
तुम भक्तों के हो अघ हारी।।
दोष हमारा माफ करो माँ।
बेटे का इंसाफ करो माँ।।०८।।
वृषभ वाहना सिंह सवारी।
सारी अश्त्र-शस्त्र तुम धारी।।
काल पास आने से डरता।
त्राहिमाम खर करते रहता।।०९।।
रूप सर्व तुम ही अवतारी।
सृष्टि रमा तुममें है सारी।।
सूर्य चंद्र में तेज तुम्हारा।
बढ़ा सको तुम तेज हमारा।।१०।।
चार आठ दस कर तुम धारी।
भुजा अठारह अरि संहारी।।
तुम हो माता जग कल्याणी।
निर्मल कर दो मन मति वाणी।।११।।
भक्तों के तुम हो हितकारी।
माँ दुर्गे तुम जग महतारी।।
त्रिविध ताप से हमें उबारो।
पाठक को भव पार उतारो।।१२।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
