मातृभाषा की करुण पुकार-विजय सिंह नीलकण्ठ

 

 

 

 

 

 

 

मातृभाषा की करूण पुकार

 

हिन्दी भाषा रो रही है
कर रही है हमसे विनती
मेरी साख बचाओ बन्धु
मानो एक सलाह कीमती। 
बिन व्याकरण पढ़-लिखकर ही
कुछ जन बन जाते साहित्यकार
जिसके चलते शब्द शुद्धता
पर वार हो रहा बारम्बार।
इसका कारण मोबाइल कीबोर्ड
देवनागरी प्रचारिणी सभा ने नहीं बनाया
फिर भी क्यों भारतवासी ने
इसे ही बढ़-चढ़कर अपनाया।
व्याकरणिक अशुद्धियाँ शब्द अशुद्धियाँ
हर ओर दिखाई देती है
विराम चिन्ह वर्तनी अशुद्धि
देख हृदय स्व रोती है।
सुविधा के लिए मोबाइल कीबोर्ड
का भरपूर उपयोग करें
लेकिन टाइप हो जाने पर
अचूकों को शुद्ध करें। 
इतिहास गवाह है जब भी कोई
विदेशी आया भारत में
सबसे पहले सबसे आगे
स्व भाषा लाया भारत में।
गर हिन्दी की साख बचाना
चाहते हो साहित्यकारो
व्याकरण से ज्ञान प्राप्त
कर लो मेरे प्यारे यारो
बची रहेगी मातृभाषा
जो कहलाए हिन्दी भाषा।

विजय सिंह नीलकण्ठ 

सदस्य टीओबी टीम 

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