मातृभूमि है मेरा बिहार
जन्म लिया तेरी धरती पर
है तेरा मुझपर उपकार
शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी
नमन करुँ मैं तेरा बिहार।
जन्म दिवस है आया तेरा
तुझसे ही मेरी पहचान ,
शुरु कहां से होगी गाथा
मानवता का तू आधार,
शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी
नमन करुँ मैं तेरा बिहार।
विकसित हुई तेरी मिट्टी में
संस्कृति भी बन गई महान ,
सारे विश्व में घूम गया
हे मातृभूमि तेरा आचार,
शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी
नमन करुँ मैं तेरा बिहार ।
तेरी गोद में बैठ के पाया
महापुरुषों ने जीवन का ज्ञान ,
दर पर तेरे आकर सीखा
क्षमा, शील, और सत्कार,
शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी
नमन करुँ मैं तेरा बिहार।
बनी वीरांगना हर एक बेटी
रक्खा है माटी का मान,
खेल गई जुआ जीवन का
हार नहीं किया स्वीकार,
शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी
नमन करुँ मैं तेरा बिहार।
लगे दुआएं तुझको जग का
फलो फूलों पाओ सम्मान,
कीर्ति फैले दसो दिशा में
गुण गाये सारा संसार
शीश झुकाऊ छूकर मिट्टी
नमन करुँ मैं तेरा बिहार।
स्वरचित 🙏🙏
डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
मुजफ्फरपुर, बिहार