मौसम
लो मौसम ने ली अंगड़ाई
एक के बाद दूसरी है आई l
हम सब हैं भारतवासी,
चारों मौसम के हैं आदि l
जब नव वर्ष ने सौगात लाई,
जाड़े ने सबको ठिठुराई l
कपड़े गर्म मम्मी पहनाई,
घर में रहना हमें सिखाई l
मार्च में मौसम ने ली अंगड़ाई,
जाड़ा के बाद गर्मी है आई l
भागे कंबल और रजाई,
पसीने बहाने की आई बारी l
नदियों की शोभा बढ़ आई,
सबने खूब डुबकी लगाई l
बादलों से बूँदें जो आई ,
गर्मी से राहत दिलाई l
मौसम ने ली अंगड़ाई,
जून में वर्षा ऋतु आई l
सितम्बर तक सबको नहलायी,
नदियों का मान बढ़ायी l
मौसम ने ली फिर अंगड़ाई,
अक्टूबर में शरद ऋतु आई l
दिसम्बर तक हमें हर्षायी,
सबने मिलकर खूशियाँ मनाई l
लो मौसम ने ली अंगड़ाई,
फिर से चक्र वही दुहराई l
अनुज वर्मा
उतक्रमित उच्च विद्यालय बेलवा
कटिहार, बिहार