मेरा जीवन- गौरा सवैया
२१२*६+२२२+११
जो हमें तू दिया नेह से हूँ लिया सर्व स्वीकार संजोया है मन।
साथ देते रहा मैं सदा आज तो संग में है नहीं मेरा ही तन।।
भावना में बहा कष्ट भी हूँ सहा और बाँधे रहा प्यारा सा धन।
राम आओ जरा मैं बुलाऊँ जरा द्वार तेरे खड़ा सारा जीवन।।०१।।
सामने राम के शीश मेरा झुका दंभ मेरा मिटाएँ हैं राघव।
जो बसाया उन्हें भावना में सदा कौन देखे उसे पाए लाघव।।
हाथ थामा हमारा सहारा बना प्रीत का गीत सीखाएँ माधव।
जीव जो भी यहाँ देव दासी बने हर्ष पाते यहाँ सारे बांधव।।०२।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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