मेरा विद्यालय-मधु कुमारी

मेरा विद्यालय

मेरा विद्यालय
है शिक्षा का अद्भुत आलय
मिलता जहाँ मुझे
शिक्षा का सार्थक ज्ञान
ज्ञान पाकर जग में
होता खूब मेरा नाम।

विद्यालय के पेड़-पौधे
और सुंदर वातावरण
समझाते सदैव मुझे
पर्यावरण का आवरण।

सांप-सीढ़ी का
सांख्यिक स्तंभ
बनाता मेरा खेल-खेल में
गणित से सम्बन्ध।

अल्फाबेटिक खेल निराली
लगती मुझको भोली-भाली
इसमें करता लड़का भी प्ले
और लड़की भी प्ले
हम हो कनफ्यूज
बोलो भाई क्या करें ??

जब आती हिंदी की बारी
इसमें होती हमारी
अग्रिम भागीदारी
सूर लय ताल में
खूब कविता पाठ करते हम
देख हमारी अनोखी करतब
रह जाते सब दंग।

सब विषयों का है
अद्भुत मेल-मिलाप
एक-दूसरे के संग
करते सदैव प्रेमालाप।

पढ़ते-लिखते मस्ती करते
हम बच्चे अपनी हीं दुनियाँ में मगन रहते
छोटी सी है हम बच्चों की दुनियाँ
जिसमें विद्यालय है सबसे सुंदर रचना।

मधु कुमारी
कटिहार 

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