मिठी वाणी
मिठी वाणी होती
है बड़ी ही प्यारी
इससे हो जाते दूर
द्वेष, क्लेश सारी।
मिठी बोली जान है
यही आत्म सम्मान है
सभ्यता, संस्कृति की
यही एक पहचान है।
जिसने भी है बोला
सदैव ही मिठी बोली
ये तिलस्मयी दूनियांँ
भी है, उसकी होली।
जिसकी भी है मिठी वाणी
दूनियाँ भी है उसको मानी
इसका कोई जवाब नहीं
यही तो अद्वितीय व सानी।
मिठी बोली से बढ़ते
हैं एक दूजे में प्यार
मिठी बोले से बनते
हैं दुश्मन भी यार।
एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियां कैमूर बिहार
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