मित्र महान
मन की बात परखने वाले
ही कहलाते सच्चे मित्र
चारों दिशाओं में नाम फैलाकर
बना देते हैं जैसे इत्र ।
सुख-दुःख में साथ निभाए
कहलाते वे सच्चे मित्र
अगर कोई भूल हो जाए
न करते थोड़ा भी फिक्र ।
गर कोई मुश्किल आ जाए
रहे हमेशा साथ खड़े
हौसला अफजाई करके
विपत्तियों से दूर करे ।
लोभ नहीं हो जिनके मन में
ईर्ष्या का न भाव हो तन में
निंदा न करें जीवन में
बसा रहे सदा तन मन में ।
सपनों में भी हाथ बढ़ाते
हरदम वो उत्साह बढ़ाते
नहीं कभी जो ख्वाब दिखाते
वास्तविकता से परिचय करवाते ।
होते सारे गुणों के खान
जो करते सबका सम्मान
नहीं दिखाते भाव अनजान
कहलाते वे मित्र महान ।
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम
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