मुदित मन
जीवन पाटल सम सुशोभित
पल्लवित पुष्पित कंटक में
अगम्य पथ तपन तप्त बालुका
विश्रांति मंजुल मरूवन में।
मन कराल सम्मुख मृगतृष्णा
एकल गमन पुनीत हरि वन में
द्वन्द्व कारवाँ से सतत पृथक
मौन जागृत अन्तर्मन में।
जीवन निर्झरणी के बुंद बुंद में
अंतस ईश का ध्यान सजे
वात्सल्य ममत्व प्रशांत सिंधु में
निर्मल छवि अति पावन दिखे।
सजगता पर्ण सहज पल्लवित
तटस्थता उर थिर उपवन में
राग-द्वेष मलिन खल मुस्कान
होम हिय तम यज्ञ अगन में।
पद प्रतिष्ठित ऐश्वर्य कामना
क्षणभंगुर मानव जीवन में
शाश्वत प्रेम क्षणिक वासना
माया के मोहक आंगन में।
सम्यक कर्म शुभ भक्ति याचना
मानवीय गरिमा विश्व बंधुत्व में
मीरा नूपुर झंकृत प्रणव ध्वनि
अवनि से निस्सिम गगन में।
जग प्रतीति को न सम्पूर्ण मान
मोह निशा के आमोद व्योम में
परम सत्ता को परिपूर्ण जान
प्रीत अर्पित परमात्म चरण में।
अहम् भाव हिम शिला गलित
बुंद समाहित अक्षय जलधि में
इदं न मम उर भाव सुगंधित
छवि सत्य उदित मुदित मन में।
दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी, अररिया