मुनिया मेरी पढ़ेगी-रानी कुमारी

मुनिया मेरी पढ़ेगी

अब मुनिया मेरी पढ़ेगी
किस्मत अपनी गढ़ेगी।

बस्ता अपना उठाएगी
रोज विद्यालय जाएगी
हाथ पेंसिल पकड़ेगी
स्लेट पर अक्षर उकेरेगी।

अब मुनिया मेरी पढ़ेगी
किस्मत अपनी गढ़ेगी।

खेतों में काम न करेगी
एक दो तीन चार गिनेगी
शिक्षा की सीढ़ी चढ़ेगी
हरदम आगे वह बढ़ेगी।

अब मुनिया मेरी पढ़ेगी।
किस्मत अपनी गढ़ेगी।

अशिक्षा से टकराएगी
शिक्षा-दीप जलाएगी
मुश्किलों से न डरेगी
डटकर मुकाबला करेगी।

अब मुनिया मेरी पढ़ेगी।
किस्मत अपनी गढ़ेगी।

पढ़-लिख परचम लहराएगी
भारत की बेटी कहलाएगी
अपने सपने पूरे करेगी
और जीवन में रंग भरेगी।

अब मुनिया मेरी पढ़ेगी।
किस्मत अपनी गढ़ेगी।

रानी कुमारी

पूर्णियाँ बिहार

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