मुस्कान
मुस्कान है इक ऐसा अलंकार,
जो लाये जीवन में बसंत बहार,
सजें सदा जिन होठों पर यह,
हो जाएं पूर्ण सारे श्रृंगार।
उदासी मंजर में दे जाए सुकून,
सारे अश्कों के मोती चुन,
भर दें हृदय को शीतलता से,
ऐ मेरे हमराही ! तू सुन।
मुस्कान है इक सर्वश्रेष्ठ दवा,
पुलकित कर दें हमारे मन को,
इसे कभी न खोने देना,
चाहे त्यागना पड़े नश्वर तन को।
गर धारण नहीं किया इसको,
सुंदर सी छवि अधूरी है,
मुस्कान बिना अपूर्ण हैं हम,
इससे जीवन में नूरी है।
नूतन कुमारी
पूर्णियाँ बिहार
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