नारी है ईश्वर का वरदान
नारी दुर्गा है नारी सरस्वती
नारी है ईश्वर का वरदान,
हर घर की इज्जत है नारी
नारी से है सबकी पहचान।
यदि संसार में होती न नारी
फिर तू कैसे धरा पर आता?
पत्नी, बेटी और बहन रूप में
फिर कैसे नारी को पाता?
नारी है करूणा की सागर
इस बात का करो अभिमान,
उठो लड़ो और आगे बढ़ो
समस्याओं का करो समाधान।
त्याग की प्रतिमूर्ति है नारी
रणचंडी भी बन जाती है,
महिषासुर का मर्दन करके
धरती से पाप मिटाती है।
नारी तो शक्ति स्वरूपा है
मत कोई अपमान करो,
कहे कवि “नरेश निराला”
सब नारी का सम्मान करो।
नरेश कुमार “निराला”
सहायक शिक्षक
छातापुर, सुपौल
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