नारी शक्ति की पहचान
आइए आज आपको नारी शक्ति की पहचान कराती हूं।
मैं आज की नारी हूं, देश की सरहद पर तिरंगा लहराती हूं।
दुश्मन हम से थर-थर कांपते हैं, लक्ष्मीबाई का रूप जब धरती हूं।
आज की नारी नहीं है बेचारी।
कैसे भूल गए हो मेरे त्याग, ममतामई स्पर्श को।
ममता बरसाने वाली मदर टेरेसा हूं मैं।
जो सितारे चमकते हैं दूर आसमां में,
उन्हें कंधों पर लाने वाली किरण बेदी हूं मैं।
अंतरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स हूं मैं।
कुश्ती के अखाड़े में लड़कों को पछाड़ने वाली गीता हूं मैं।
कैसे भूल गए तुम मेरी उड़ान को,
उड़नपरी पी टी उषा हूं मैं।
एथलेटिक्स चैंपियनशिप जीतकर स्वर्ण पदक लाने वाली,
विश्व में अपना परचम लहराने वाली,
गोल्डन गर्ल कहलाने वाली हिमा दास हूं मैं।
आज की नारी नहीं है बेचारी।।
घर का मैनेजमेंट ही नहीं करती हूं मैं,
पेप्सीको कंपनी की प्रमुख,
पद्मभूषण से सम्मानित इंदिरा नूई हूं मैं।
पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली हूं मैं।
तुम्हारे घर में ही नहीं, देश की सरहद पर भी हूं मैं।
जहां ज्ञान मिलता है, उस विद्यालय में भी हूं मैं।।
जहां न्याय मिलता है, उस न्यायालय में भी हूं मैं।।
जहां जीवनदान मिलता है, उस चिकित्सालय में भी हूं मैं।।
तुम्हें जीवन देने वाले जननी भी हूं मैं।।
मुझसे ही तुम्हारा अस्तित्व है।
अबला नहीं सबला हूं मैं।
आज की नारी नहीं है बेचारी।।
लक्ष्मी कुमारी
उचित ग्राम पिपरा अमौर
पूर्णिया (बिहार)