नन्हा भईया
एक है मेरा नन्हा भईया,
उसके घुंघराले से बाल,
छोटे छोटे पैर हैं उसके,
चलता वह मतवाली चाल।
उसका हँसना और मुस्काना,
मन को बहुत लुभाता है,
अपनी तोतली वाणी से वो,
मुझको खुश कर जाता है।
कभी खींचता मेरी चोटी,
मुझको बड़ा सताता है,
उसकी शैतानी और मस्ती,
मुझको बहुत सुहाता है।
मां भी उसको डाँट न पाती,
हर पल उसको गले लगाती,
थाम कर उसकी छोटी ऊंगली,
उसको मां चलना सिखलाती।
नूतन कुमारी
पूर्णियाँ, बिहार
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