नन्हीं गोरैया-रानी कुमारी

नन्ही गोरैया

ओ री चिरैया
नन्ही गोरैया
आ जा री वापस
पड़ती हूँ पैंया।

उड़-उड़ के आना
जी भर के खाना
दूँगी कटोरी भर पानी
मुट्ठी भर दाना ।

अपना आशियाना
रोशनदान में सजाना
उतर कर अंगना
फुदकना चहकना।

चीं चीं सी बोली
सुना जा सलोनी
ओ री ! नन्ही गोरैया
बन जा हमजोली।

रानी कुमारी

पूर्णियाँ, बिहार

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