नारी तो है नारायणी-अपराजिता कुमारी

Aprajita

नारी तो है नारायणी

जो माँ, बहन, बेटी, पत्नी, बनती
जो हैं इस जीवन का आधार
जो है ईश्वर की खूबसूरत उपहार

जब यह खुशबू बनकर बरस जाती
सारे जख्म, सारे दर्द सह जाती
सारी जिम्मेदारियाँ बखूबी निभाती

परंपरावादी जंजीरों से बंधी
सारी मान मर्यादा धर्म, संस्कार निभाती संसार में अपनी पहचान बनाती

खुद में धैर्य, कोमलता, सृजनशीलता, परिपक्वता, निश्छलता समाहित करती
सारे जहाँ की भीड़ में खुद का वजूद गढती

हर मुसीबतों, मुश्किलों, कठिनाइयों को
आँचल के छोर से बांध,
बेफिक्री से मुस्कुराती,

नारी तो है नारायणी
तुझसे ही तो जीवन साकार. .

अपराजिता कुमारी उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय जिगना जगन्नाथ
प्रखंड – हथुआ
गोपालगंज

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