नशा का हो नाश-विवेक कुमार

Vivek

Vivek

नशा का हो नाश

आज का दौड़ निराला
सबको कर रहा मतवाला
मन को कर रहा है काला
युवाओं का निकाल रहा दिवाला
ले रहा गिरफ्त में दे रहा हवाला
शराब, गुटखा, तंबाकू बताता शान का रखवाला
नशे की आदत से परेशान होता घरवाला
इन आदतों ने कितनों को घर से है निकाला
कितने बहनों की मांग को धो डाला
हत्या, हिंसा का हो रहा बोलबाला
जन और धन की बर्बादी का साथ है मिला
खोखला कर रहा समाज को,
कर रहा है उसे कंगाल
अपने को अपनों से ही दूर कर रहा
फैला रहा अपना मायाजाल
हमें इनके खिलाफ करना होगा हल्ला बोल
जन जागरूकता से ही होगा इसे संभाल
 अगर सब एकजुट हो जाए
कदम से कदम मिल जाए
प्रतिज्ञा कर इतिहास रच जाए
सफल होगा सार्थकता इसकी
बनायेंगे एक मिशाल
बनायेंगे एक मिशाल।

विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय, गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर

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