निज संस्कृति-दिलीप कुमार गुप्त

Dilip Kumar Gupta

Dilip Kumar Gupta

निज संस्कृति

आँवला बरगद पीपल की पूजा
पथिक पाता सघन शीतल छाया
द्वारे-द्वारे निबोली संग पवन
निरोगी काया मन थीर प्रसन्न
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

घृत कुमारी अश्वगंधा गिलोय
बगिया हरित प्रतान वलय
जीवंत हर आलय देवालय
आँगन-आँगन तुलसी सिंचन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

संध्या वंदन गौ घृत की आरती
शंख ध्वनि की अदृश्य शक्ति
दिव्य औषधि पावन यज्ञाहुति
साँस सुगंधित पल पल प्राण पवन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

गंगा कावेरी की निर्मल धार
प्रकृति का अनन्य उपहार
है जीवन का सार आधार
अमिय से मिलता संजीवन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

भू वनस्पति सरिता पशुधन
समष्टि के हैं शोभा संतुलन
पुरखों ने किया इनका संवर्धन
इनसे संपोषित अनमोल जीवन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

अन्न शाक फल दुग्ध मिष्ठान्न
सात्विक व्यंजन शहद अनुपान
आरोग्यवर्धक काढा हल्दी चंदन
अन्तर्मन छवि धवल गगन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

ब्रह्म मुहूर्त का स्नान ध्यान
स्वच्छ प्राणवायु का सेवन
सुप्रभात कोटि सूर्य नमन
कर जोड़ी कृतज्ञ अर्चन वंदन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

भौतिकता की तंग गली से बाहर
आध्यात्मिक राजमार्ग पर चलकर
सर्वस्य अज्ञेय पर कर न्योछावर
अंगीकार हो प्राकृतिक जीवन
निज संस्कृति को शत-शत नमन।

दिलीप कुमार गुप्त
मध्य विद्यालय कुआड़ी
अररिया

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