नृत्य-अपराजिता कुमारी

Aprajita

नृत्य

सृष्टि के कण-कण में
जन जन के मन मन में
शारीरिक भाव भंगिमाओं में
मानवीय अभीव्यक्तियों का
रसमय प्रदर्शन है नृत्य

परमात्मा की आराधना,
साधक की साधना
देवी, देवताओं, दैत्य, दानव,
पशु पक्षियों एवं
प्रकृति के अभिनव का आनंद है नृत्य

विष्णु के “मोहिनी” रूप मोहक सौंदर्य में
“नटराज” शिव का तांडव,
“नटवर” कान्हा की राधा, गोपियों संग रासलीला है
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का साधन है नृत्य

सूरदास, चैतन्य महाप्रभु, मीरा की अनन्य भक्ति अनुराग, वैराग्य में
कालिदास के शाकुंतलम, मेघदूत में
वात्सायन के कामसूत्र, मृच्छकटिकम् में
जीवन और प्रकृति का घनिष्ठ संबंध है नृत्य

लोकनृत्य, शास्त्रीय नृत्य, पाश्चात्य नृत्य
कोस-कोस पर पानी, वाणी संग
नृत्य शैली है विविध,
सार्वभौमिक कलाओं,
आंगिक क्रियाओं में नृत्य

मयूर के नृत्य में, पंछियों की उड़ान में, टहनियों, लताओं के झूमने में, पत्तों की खड-खड़ाहट में, वर्षा की बूंदों के गिरने में झरनों के कल-कल में, नदियों की धारों में, जीवन के अनुराग, विराग में
कहाँ नहीं है नृत्य

सृष्टि के कण-कण में
जन जन के मन मन में
हर पल, हर क्षण व्याप्त है नृत्य

अपराजिता कुमारी
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगन्नाथ
प्रखंड हथुआ
गोपालगंज

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