ऑनलाइन क्लास
सोचा किसने था की बच्चे और शिक्षक पास रह कर भी दूर हो जाएंगे?
किसको पता था की आएगी महामारी और स्कूल बंद हो जाएंगे?
एक दूसरे से मिलना भी मुश्किल और घर से निकलने में भी थी बहुत पाबंदियां।
पढ़ाई बच्चो की रुक गई थी करे भी तो क्या करे सरकारी स्कूल के बच्चे और बच्चियां।।
अब कैसे भी हो पढ़ाई, जागरूक शिक्षकों ने बच्चों को मोबाइल से पढ़ाने का बीड़ा उठाया।
अभिभावकों के संपर्क सूत्र से संपर्क कर ऑनलाइन क्लास का विकल्प सुझाया।।
शुरू शुरू तो हर काम की तरह आई कई परेशानियां।
फिर धीरे धीरे हर पढ़ाई समझ आने से दूर हो गई सब कठिनाइयां।।
अब ऑनलाइन क्लास के समय बच्चे तैयार रहते हैं, मन लगाकर पढ़ते हैं और मन की बात कहते हैं।
शिक्षक भी मन लगाकर अपने अपने विषय पढ़ाते है साथ में उनकी समस्या का समाधान करते है।।
सब जानते है ऑफलाइन पढ़ाई स्कूल वाली सबसे बेहतर है।
लेकिन इस महामारी में ऑनलाइन पढ़ाई के अलावा दूसरा और क्या विकल्प है?
खाली बैठने से बेहतर है कुछ न कुछ करते रहना।
जब तक विद्यालय बंद है प्यारे बच्चो ऑनलाइन क्लास से पढ़ते रहना।
धीरज कुमार
UMS सिलौटा
भभुआ (कैमूर)