आज धरती पर आसमां, वीरान क्यों है। चांद और सितारे, भी तो वहीं है। मगर हवा की सुर्खियां, इतना परेशान क्यों है।। हरेक-लम्हों की बेचैनी, ईंटों के दिवारों में दिखती…
नशा मुक्ति- अमरनाथ त्रिवेदी
नशा सेवन करने से , कितने घर बर्बाद हुए ? शत्रु जिसको समझा आपने , उसके घर आबाद हुए । नशा छोटी हो या बड़ी , दुखदायी बड़ी होती है…
ठ्काय गेला- जयकृष्णा पासवान
अंगिका आज को दिन कहिन्ह, उदास लागैय छै । वार-वार हमरा कहिन्ह, प्यास लागैय छै ।। ग़रीबी के पसीना हम्म, गमछी स पोछला । कि करबै हम्म केकरो, नाय पुछला…
भारत के अतुलनीय गौरव (श्री रामानुजन)- मनु कुमारी
कोयंबटूर का गांव इरोड वह जहां रामानुजन का जन्म हुआ, खुशियां फैली गली गली में, घर आंगन गुलजार हुआ। भारत में की गोद में आया ,सदी का एक सुपुत्र महान।…
फूल बनूँ- अमरनाथ त्रिवेदी
फूल बनूँ ; काँटें न बनूँ , सबके मन का मीत बनूँ । रगड़ा नही किसी जन से हो , जन – जन का संगीत बनूँ । आये हैं इस…
मनहरण घनाक्षरी- जैनेन्द्र प्रसाद रवि
टूटे रिश्ते जिंदगी गुजर जाती, यहां रिश्ते बनाने में, गाँठ पड़ जाते यदि, टूटे-रिश्ते जुड़ते। खूब मजबूत रखें , संबंधों की बुनियाद, बालू की दीवार बने, घर नहीं टिकते। प्रेम…
शराबी पति- नीतू रानी
विषय-शराब तर्ज-सजनवां बैरी हो गईल हमार। सजनवां शराबी हो गईल बीमार कतौ सेअ आबै हमरा ऊ मारै, दैय बीछ – बीछ केअ ओ गाएर बलमुवां शराबी हो गईल बीमार सजनवां…
चूहा जी- मीरा सिंह “मीरा”
(बाल कविता) दौड़े दौड़े घर में आते ताक झांक करते चूहा जी। नए पुराने सारे कपड़े कुतर कुतर जाते चूहा जी। अम्मा मेरी है गुस्साई झट से चूहे दानी लाई।…
अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस- रणजीत कुशवाहा
जन जन में बढ़ रही है इर्ष्या, खंडित हो रहा हमारा समाज। इस भेदभाव को दूर भगाएं, चलो प्रेम का एक दीप जलाएं ।।१ ऊँच-नीच की पहचान छोड़ दें, जाति…
गुण – अवगुण- अमरनाथ त्रिवेदी
गुण -अवगुण धर्मिता को , प्रकृति भी वरण करती है । जहाँ प्रकृति सृजन है करती , विनाश बीज भी बोती है । सूर्य तम का नाश है करता ,…