बच्चों का अंदाज- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

आने वाले समय की,उसको न चिंता होती, हमेशा वो हर पल, रहता बिंदास है। आँखों में बसा के चित्र, सबको बनाए मित्र, अपना ही हमजोली, आता उसे रास है। मलाई…

प्रेम दिव्य अनुभूति परम है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रेम दिव्य अनुभूति परम है आओ हम विश्वास बढ़ाएँ। प्रेम मग्न हों प्रभु को भजकर, अंतर्मन नव भाव जगाएँ। प्रेम पंथ पर पग जो रखते बन जाती है नई कहानी।…

मेघा रे- कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

आ जाओ रे मेघ, इतना मत न इतराओ। उजड़ रहा खलिहान,थोड़ा नीर बरसाओ।। हैं बहुत परेशान,तप रही धरा हमारी। कृपा करो भगवान,हरी भरी रहे क्यारी।। पशु-पाखी बेचैन,सूखे कंठ तड़प रहें।।…

मेरे पापा – अतुल मयंक श्रीवास्तव

मेरे पापा,महान पापा, मेरी दुनिया,जहान पापा। मम्मी ने जन्म दिया, पापा ने पाला है, मम्मी के साथ-साथ, पापा ने भी सम्भाला है। खुद के लिए कभी कुछ नही सोचा, अपने…

पिता- दीपा वर्मा

जीवन की गाडी के दो पहिए हैं माता पिता। माता आन हैं,तो घर की शान हैं पिता। बेटियों के सम्मान हैं ,तो बेटों के आदर्श हैं पिता। परिवार के मुखिया…

मेरे पिता – मीरा सिंह “मीरा”

साहस शौर्य और पराक्रम के प्रतीक जीवन से भरपूर बलिष्ठ कंधे पर बैठकर मैं दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर आसीन होने का गौरव हासिल करती थी आपको देखकर थके-माँदें कदमों…

पिता – नीतू रानी

पिता है तो घर है, जिसको पिता नहीं है वो घर बेघर है। पिता हैं तो रोटी है , मकान है,सम्मान है और भगवान है, पिता नहीं है तो सिर्फ…

शेक्सपियर सानेट शैली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

पिता उम्मीद एक आस है। संतानों की दिव्य पहचान। परिवार अटूट विश्वास है। स्वाभिमान तो कभी अभिमान। कभी पिता निज अंस बिठाते सतत भरोसा एक आधार। अँगुलि पकड़कर सैर कराते…