शहर-विनय कुमार ओज

शहर शहरों की रौनक होती भीड़ है पर ये तो सहता रहता पीर है हरित, शांति को ये सदा तरसता पल-पल वाहनों से धुआँ बरसता जहाँ भी देखो शोर-शराबा है…

जख्मों को सहलाते रहिये-स्नेहलता द्विवेदी आर्या

ज़ख्मों को सहलाते रहिये दिल की रीत निभाते रहिये, जख्मों को सहलाते रहिये। संकट में है पड़ी मानवता, मानव धर्म निभाते रहिये। जंग कठिन है रण है बाकी, अपना धर्म…

युवा तुम लड़ो मुस्किलों से-संदीप कुमार

युवा तुम लड़ो मुश्किलों से हाँ, युवा तुम हो देश के भविष्य तुम हर असंभव कार्य को संभव कर सकते हो तुम्हारे अंदर है असीमित शक्ति तुम डटकर सामना करना…

कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं-रीना कुमारी

कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं बच्चे तो कच्चे माटी के बने होते हैं जैसा चाहो वैसा रूप बना दो, पर हम खुद कुम्हार बनते नहीं, कौन कहता है बच्चे…