पंछी
हम पंछी स्वतंत्र रूप में,
बंद पिंजरे में न रह पाएंगे।
कभी चहकना कभी फुदकना,
गुलामी की दास्तां स्वीकार नहीं।।
खुले में रहना स्वच्छ वातावरण में,
दाना चुगने दूर दूर तक जाएंगे।
स्वयं पर मुझ में विश्वास भरा,
अपना जीवन निर्वहन कर पाएंगे।।
तिनका तिनका जोड़कर,
अपना घर बनाएंगे।
सपनों से भी सुंदर होगा अपना घर,
उसमें ही हम खुश रह पाएंगे।।
खुली हवाएं खुले आसमान में,
हमें विचरना अच्छी भली।
कभी गर्मी कभी सर्दी कभी बरसात में,
जीवन जीना सीखा हमें।।
है संघर्षरत जीवन मेरा,
कभी आंधी कभी तूफान में।
जीवन जीना सीखा हमने,
प्राकृतिक के छांव में।।
अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर
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