पर्दा
एक पर्दा खिड़की दरवाजों पर लगता है
अजनबी लोगों से खुद को छुपाने के लिए।
एक पर्दा घूंघट का होता बड़े लोगों से
अपने संस्कार बताने के लिए।
एक पर्दा ही तो है जिसे लगाकर
बहुत कुछ छुपा लेते हैं हम।
आंखों पर रंगीन चश्मा लगाकर
आंखों के भाव छुपा लेते हैं हम।
वैसा ही पर्दा आज इंसानों के
आंखों पर पड़ गया है।
पर्दे के ऊपर पर्दे चढ़ाकर
हर रिश्ते को ढक रहे है हम।
कहने को भाई बहन, रिश्ते नाते बनाए हैं हम।
पर एक पर्दा चढ़ा आंख पर
इन रिश्ते को तार-तार कर रहे हैं हम।
ऐसा पर्दा लग गया है आंखो पर
कि अब हम स्वार्थ में अंधे हैं।
थोड़े से लालच में आकर
अपना ईमान धर्म भी छोड़ रहे है हम।
मरती है तो मरे दुनिया हमे
इसका भी नहीं जरा गम।
बहुत हुआ अब बहुत हुआ
अब हम इंसान अपने आंखों पर चढ़े
इस मतलबी परदे को हटा दें।
ऐसे पर्दे का मतलब क्या जो
इंसानियत और मानवता को ले डूबे।
उठा कर फेंक दो ऐसे परदे
जो एक इंसान को इंसान न समझे।
धीरज कुमार डीजे
U M S सिलौटा
भभुआ (कैमूर)