पहला पग-नितेश आनन्द

पहला पग

आया तो था खाली हाथ हीं वो,
लेकिन उम्मीदों से भरा पड़ा था वो।
एक सिकन जरूर थी चेहरे पर उसके,
क्या घर की ममता मिल पाएगी यहां उसे?

हाथ बढ़ाया ममता की दूसरी मूरत ने,
वह भी सहमे से गले लग गया उनके।
मन हीं मन में उल्लास भरा,
इस बगिया में भी मां जैसा ही प्यार मिला।

पहुंचा जब बगिया के फूलों के संग,
देख मन हर्षित हुआ जब आए सब उनके संग।
अब मन में तसल्ली आई,
फिर तो घर की याद न आई।

पुनः मिलने का वादा कर के

पहुंचा जब मां के पास,
सुनाए उसने कई किस्से जो बिताए सबके साथ।
मां ने ममता से सीने से लगाया,
फिर उसे पहले पग की बात बताया।

नितेश आनन्द (शिक्षक)
मध्य विद्यालय जहाँनपुर 

बछवाड़ा, बेगूसराय

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