पेड़ लगाना होगा
घुटते घुटते कहीं ये
उपवन मर न जाए,
हालत देख धरा की
जीवन डर न जाए,
ध्यान धरो ओ ! मानव
कुछ अपने कर्मों का,
कहीं तुम्हारी करनी
तुमको ही छल न जाए।
ये श्रृंगार धरा का,
कहीं धरा ही न रह जाए,
पेड़ों की अनदेखी से
प्रकृति मुकर न जाए,
सम्मान करो मौन धरे
इन हरे भरे देवों का,
कहीं स्वयं देव होने का
मान उतर न जाए।
जो है संवेदना इनमें
हर जन तक पहुँचाना होगा,
अब-तक जो भी हैं सोये
हर उस जन को जगाना होगा,
जीवन की अविरल धारा
गर हमें बचानी है तो,
ये बात हमें दृढ़ता से
जन-जन को बतलाना होगा कि
सबको पेड़ बचाना होगा,
सबको पेड़ लगाना होगा।
Amit Aryan
राजकीय बुनियादी अभ्यास विद्यालय नगरपारा
नारायणपुर, भागलपुर
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