पिता-अशोक कुमार

Ashok

पिता

पिता शौर्य का प्रतीक,
हमें पथ प्रदर्शक बनाया।
निरंतर पग पग पथो पर,
संभल संभल कर चलना सिखाया।।

उन्हीं से सुख शांति है,
मां का सिंदूर है।
उनके जगह कोई नहीं ले पाए,
मां को विधवा रूप दिखाएं।।

उनका पग डेहरी पर पड़े,
पूरा परिवार खुशियों में खिले।
बेटा बेटा जब पुकारे,
सारी खुशियां दौड़ी आवे।।

पूरे परिवार का सहारा होता,
सबको खिलाकर तब वो सोते।
सोते वक्त सिर सहलाते,
सुंदर कहानियां सुनाते।।

उन्हीं से होती मेरी पहचान,
मुझको जानती दुनिया जहान।
जब हम सफलता को पावे,
उनकी छाती चौड़ी हो जावे।।

पिता है तो जहान है,
वही मेरा अभिमान है।
खुद कठिनाइयों को झेलें,
अपने परिवार को आगे बढ़ाएं।।

मेहनत मजदूरी करके,
अपने लाडले को पढ़ाते।
जब बेटा पैरों पर खड़ा हो जाता,
जग में उनका मान सम्मान बढ़ जाता है।।

अशोक कुमार
न्यू प्राथमिक विद्यालय भटवलिया
नुआंव कैमूर

0 Likes
Spread the love

Leave a Reply