प्रगति
हो भविष्य की तुम धरोहर
सुन लो ओ देश के नोनिहाल
प्रगति के पथ पर
है नित्य तुम्हें
नए नए कीर्तिमान
स्थापित करना
नित्य, निरंतर है तुम्हें
बढ़ना, बस बढ़ते हीं जाना
न रुकना, न थकना कभी
बस है चलना, चलते हीं जाना
जीवन के कर्तव्य पथ पर
ऊँची-नीची मुश्किल राहों पर
कर कल्पना कोरी,
दृढ् शक्ति के बल पर
तुम कभी हार न मानना
नित्य नए नए
सृजनात्मक कार्य
है तुम्हें करते जाना
बढ़ना आगे, बस
बढ़ते हीं जाना
माना होंगी राहों में
नित्य नयी चुनौतियाँ
तुम लड़ना, घबराना नहीं
है गिरना
गिर कर, फिर से उठना
उठकर चलना
बस चलते हीं जाना
अंधेरे जीवन में है तुम्हें
दीप शिक्षा के जलाना
काले-काले अक्षर से तुम
चारों ओर उजियारा फैलाना
बढ़ना आगे तुम
बस, बढ़ते हीं जाना
चूँमेंगी बेशक कामयाबी
तुम्हारे कदम
ईमानदारी और सत्य की राह पर
तुम सदैव चलना
बस, चलते हीं जाना
सफलता की राह पर
कर दृढ़ संकल्प तुम्हें
है नित्य परिश्रम करना
बस करते हीं जाना
सुन लो ओ देश के नोनिहाल।
मधु कुमारी
उ. म. वि. भतौरिया
बलुआ, हसनगंज
कटिहार