प्रकृति-अनुपमा अधिकारी 

Anupama

प्रकृति

जब जब करोगे
प्रकृति से छेड़छाड़,
तब तब होगा सुन लो
पृथ्वी पर नरसंहार!

पेड़, पहाड़, नदियां सुंदर
इससे खेल रहा मानव,
कब तक सहे इसे प्रकृति
इसलिए मचा रही यह तांडव!

प्रकृति ने दिए अनेक उपहार
लगता सुंदर कितना यह संसार,
जितनी भी करें इसकी बखान
मन को रमता यह बारंबार!

विज्ञान कर ले जितनी प्रगति
अक्सर रोक देती है उसे प्रकृति,
ईश्वर है सर्व शक्तिमान
यह एहसास दिलाती है प्रकृति!

अनुपमा अधिकारी 

किशनगंज बिहार

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