प्रकृति के रंग-मनोज कुमार मिश्र

Manoj kumar mishra

Manoj kumar mishra

प्रकृति के रंग

प्रकृति तेरे रंग हजार,
अद्भुत लगता है यह संसार।
रुखा सुखा पतझड़ भी है,
और साथ में बसंत बहार।।
हाड़ तोड़ती ठंड कहीं है,
कहीं गर्मी का अत्याचार।
गुनगुनी सी धूप सुहानी,
कभी मंद मंद बहती बयार।।
पानी को कहीं लोग तरसते,
कहीं प्रलय पानी की धार।
कहीं बरसती रिमझिम बारिश,
कहीं बरसती मुसलाधार।।
धुल भरी आंधी है कहीं,
कहीं सघन वन का विस्तार।
कहीं बर्फ की चादर ओढ़े,
धरती का अद्भुत श्रृंगार।।
प्रकृति तेरे रंग हजार,
अद्भुत लगता यह संसार।।

मनोज कुमार मिश्र
+2 सत्येंद्र उच्च विद्यालय गंगहर
अम्बा औरंगाबाद बिहार

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