प्रवेशोत्सव नारा
उत्सव का यह दिन आया है, बच्चों का मन भाया है।
बातें प्रवेश की आई हैं, नूतन खुशियाँ छाई हैं।
मन हर्षित हो करें पढ़ाई, छिपी इसमें है भलाई।
बच्चे हो तुम मिट्टी समान, अब मिलेंगे अभिनव ज्ञान।
गुरु का नित सम्मान करेंगे, अपने भीतर ज्ञान भरेंगे।
देश भविष्य हो तू निराले, प्रवेश तू शीघ्र कराले।
मात पिता का कहना मानो, ज्ञान जीवन अमृत मानो।
ज्ञान वाटिका खूब सजाना, अपना मन ऊँचा बनाना।
कभी नहीं अभिमान तुम रखना, सदा गुरु का मान करना।
बिटिया कभी न पीछे हटना, पढ़ लिख जग रौशन करना।
शिक्षा का अलख जगाएँगे, अज्ञान तिमिर भगाएँगे।
पावन भावन हृदय बनाना, उत्सव खुशी से मनाना।
पढ़ने में हम लगाएँ जोर, चलो चलें स्कूल की ओर।
बाग लगाकर खुशबू लाएँ, ज्ञान हम स्कूल में पाएँ।
शिक्षा से हम नाता जोड़ें, प्रेम भाव कभी न तोड़ें।
ज्ञान बढ़े ही सदा हमारा, स्कूल ही तो एक सहारा।
भरते गुरुवर ज्ञान खजाना, प्रतिदिन अब स्कूल तुम जाना।
खुश हो जाएंँगे रोज़ स्कूल, वहाँ मिलेंगे सुन्दर फूल।
गुरु ज्ञान मानें अमृत समान, पाकर हमसब बनें महान।
मन को तुम कभी नहीं मारो, पढ़ने से नहीं तुम हारो।
दो गज दूरी बनाएँगे, मिलजुल उत्सव मनाएँगे।
देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
भागलपुर बिहार