पूजन की थाल सजाएँ
आशाओं के नवदीप सजाकर
अन्तर्मन उत्साह उमंग जगाएँ
अटूट श्रद्धा विश्वास जगाकर
समर्पण भाव शीश झुकाएँ
आओ ! पूजन की थाल सजाएँ।
पावन अन्तस सुमन खिलाकर
सद्भाव सत्कर्म नेह बहाएं
निश्छल ज्ञान पिपासु बनकर
उर्ध्वमन गंगनीर चढाएं
आओ! पूजन की थाल सजाएँ।
सर्वत्र सत्यानुभूति पाकर
भक्ति युक्त सुगंध फैलाएं
उर पावन छवि ईश सजाकर
वैराग्य पियूष नैवेद्य चढाएं
आओ! पूजन की थाल सजाएँ।
मानवता का बोध कराकर
आत्मबोध सुरसरि नहाएं
शांति शीतल भान उगाकर
मौन सतत अरदास लगाएँ
आओ ! पूजन की थाल सजाएँ।
सेवा सुमिरन सानिध्य गहाकर
शाश्वत सत्ता संग प्रीत लगाएँ
प्रेम भक्ति अनुराग बढाकर
हम जिनके थे, उनके हो जाएँ
आओ! पूजन की थाल सजाएँ।
दिलीप कुमार गुप्त
प्रधानाध्यापक मध्य विद्यालय कुआड़ी, अररिया