सदाचार-देव कांत मिश्र दिव्य

सदाचार  

सदाचार का गुण अपनाएँ
सच्ची पूँजी इसे बतलाएँ।
अमित तोष आनंद बढ़ेगा
जीवन मधुरिम और दिखेगा।।

अमिय समान बहुत गुणकारी
है आभूषण असली प्यारी।
मीठे वचन सभी से बोलें
सदाचार का रसना घोलें।।
जिसने ऐसा गुण सरसाया
अपने को वह सुखद बनाया।
मानवता का ध्येय बनाना
सदाचार को हृदय बसाना।।
अन्तर्मन में गुण यह लाएँ
औरों को भी इसे सिखाएँ।
मात पिता का चरण दबाना
गुरु चरणों में शीश नवाना।।
सदाचार जीवन की थाती
लगता है दीपक की बाती।।
जीवन का आदर्श यही है
सदाचार की बात सही है।
गठरी मन की खोलें भाई
सदगुण की हम करें बड़ाई।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ शिक्षक

मध्य विद्यालय धवलपुरा

भागलपुर बिहार

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