सजा है घाट उपवन सा, जहाँ आए लिए डाला।
भरी फल से सभी डाला, हुआ मोहक नदी नाला।।
सभी हैं हाथ को जोड़े, नहीं छोटा बड़ा कोई।
सदा पावन लगे भावन, लिए सारे व्रती माला।।
रहा निर्जल किया व्रत जो, किया पूजन सभी फल से।
रखा है मान भी सबका, पढ़ाया पाठ बन शाला।।
दिवाकर को नमन करते, मनाते हैं छठी माता।
किए थें राम भी इसको, मिटाने पाप का हाला।।
किया पूजन दिवाकर का, उदित के संग अस्ताचल।
अनूठा है जगत में यह, नहीं कोई जिसे टाला।।
प्रकृति के पास में रहकर, लगाते लोग जयकारा।
निराला रूप है छठ का, भरा है प्रेम का प्याला।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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