सम्मान करो
सम्मान करो सम्मान करो
बड़ छोटों का सम्मान करो
नर नारी हो या बाल सखा
पूरे सबके अरमान करो।
गर मात पिता जी क्रोधित हो
उनकी बातों का मान करो
वे सदा बचाएंगे तुमको
कुपथ पर चलने से याद रखो।
चाहे लड़का या लड़की हो
सुनसान जगह सहयोग करो
न बुरी भावना हो मन में
स्व अच्छे भाव प्रदर्शित कर दो।
गर कोई देख डरे तुमसे
चेहरों पर ऐसी भाव भरो
जिससे उनको विश्वास जगे
अहितकर न तुम हितकर हो।
छण भर के मनोरंजन खातिर
पर तन को दुःख न दिया करो
हर तन को स्व तन सा समझो
कोई बालिग हो या नाबालिग हो।
हर किसी के शील का
महत्व अमूल्य है ये जानो
गर भंग इसे कर देते हो
जीवन भर पछताओगे मानो।
न ईश्वर भी माफी देंगे
न नश्वर से बच पाओगे
काल कोठरी नियति होगी
फांसी पर चढ़ाए जाओगे।
दूजों के धन को देख देख
न मन में लालच लाओ
स्व मेहनत से जो प्राप्त हुए
खुशी खुशी से अपनाओ।
हो दूजों का सम्मान सदा
करने की भावना हर मन में
धरा स्वर्ग सी बन जाए
खुशियॉं छा जाए कण कण में।
विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम
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