शनैः शनैः जिंदगी गुजर रही है-नूतन कुमारी

शनैः शनैः जिंदगी गुजर रही है

लम्हों का गुजरना ऐसा है मानों,
मुट्ठी से रेत फिसल रही है,
इसे गिले-शिकवे में न जाया कर,
क्योंकि शनैः शनैः जिंदगी गुजर रही है।

समय का चक्र कभी रुकता नहीं,
फिसलता वक्त भी काबू में नहीं है,
करीने से सँवार ले हर क्षण को,
क्योंकि शनैः शनैः जिंदगी गुजर रही है।

शुभ मंतव्य से पूर्ण होता सफल कर्म,
यही एकमात्र विकल्प सही है,
माँ-बाप के सपनों को साकार कर,
क्योंकि शनैः शनैः जिंदगी गुजर रही है।

बिसरा दें सभी त्रुटियों को
शुभता का बस पहचान यही है,
सद्कर्म की पराकाष्ठा हो ऐसी,
जहाँ अपराध बोध का भान नहीं है।

कभी झाँक लो अपने अंर्तमन में,
परिकल्पनाओं में आशा भरी पड़ी है,
काश को विश्वास में परिर्वतित कर,
क्योंकि शनैः शनैः जिंदगी गुजर रही है।

नूतन कुमारी (शिक्षिका)
पूर्णियाँ, बिहार

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