संभल जाओ
चलो अब तो संभल जाओ
वृक्ष को खुद से गले लगाओ।।
वृष्टि से धरा को सराबोर करो
पर्यावरण को स्वच्छ करने का कारोबार करो।।
पीपल, अशोक, नीम जैसे वृक्ष को लगाओ
ऑक्सीजन की मात्रा वायु में बढ़ाओ।।
मानव मनुज सब त्राहिमाम है
बिना स्वास्थय अब कहां आराम है।।
विह्वल, विकल वातावरण व्याप्त है
चहुं ओर की वायु विषाक्त है।।
खग-विहंग जीव विदोष
प्रकृति असंतुलन किस किस को दें दोष।।
ग़र विद्वता का मानव दंभ भरते हैं
तो प्रकृति से खिलवाड़ क्यूं करते हैं।।
एक-एक वृक्ष है जरुरी
सांसें हमारी इनसे ही पूरी।।
प्रियंका प्रिया
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